वाड्रा को पीएमओ से क्लीन चिट:
नई दिल्ली। काग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के रीयल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के साथ हुए सौदों को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने क्लीन चिट दी है। पीएमओ ने कहा है कि उक्त सौदों में कुछ भी गलत नहीं हुआ है और लगाए गए सभी आरोप गलत हैं। पीएमओ ने यह बात इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दाखिल शपथ पत्र में कही है। पीएमओ के इस बयान पर याचिकाकर्ता नूतन ठाकुर ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा है कि यदि इस मामले में जांच ही नहीं की गई है तो फिर पीएमओ ने इस मामले में क्लीन चिट किस बिनाह पर दे दी। इस संबंध में नूतन की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा।
हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच में रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के खिलाफ लगाये गए गंभीर आरोपों के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर द्वारा दायर रिट याचिका में प्रतिवादी प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से प्रस्तुत शपथपत्र में उनके प्रत्यावेदन पर विचार करने तथा जांच कराये जाने की जरूरत नहीं बतायी गयी है।
पीएमओ का यह रुख तब है जब हरियाणा के आइएएस अधिकारी अशोक खेमका की सौदेबाजी के खिलाफ की गई कार्रवाई पर केंद्र सरकार ने कोई घोषित जाच नहीं कराई है। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में यह शपथ पत्र नूतन ठाकुर की याचिका पर हो रही सुनवाई के सिलसिले में दाखिल किया गया है। इस शपथ पत्र की प्रतिलिपि याची नूतन ठाकुर को डाक से भेजी गई है, जो उन्होंने बुधवार को सार्वजनिक की। मामले की सुनवाई गुरुवार (29 नवंबर) को प्रस्तावित है। याचिका में वाड्रा और डीएलएफ के सौदों में गड़बड़ी की आशका जताते हुए जाच की माग की गई है। अचल संपत्तियों को लेकर यह सौदेबाजी हरियाणा में हुई थी जिस पर आइएएस अधिकारी खेमका ने कार्रवाई की थी और जाच करवाई थी।
हरियाणा सरकार ने न सिर्फ खेमका का तबादला कर दिया था बल्कि तुरत-फुरत की जाच में अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई वाले जाच दल से सभी सौदों को क्लीन चिट दिला दी थी। जस्टिस उमानाथ सिंह और वीरेंद्र कुमार दीक्षित की बेंच ने मामले में नोटिस जारी करके प्रधानमंत्री कार्यालय से जवाब तलब किया था। पीएमओ ने कहा है याचिका किसी अच्छे उद्देश्य से नहीं बल्कि लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए दायर की गई है। कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए याचिकाकर्ता को सत्य की जानकारी न होने की बात भी पीएमओ ने कही है।
याची नूतन ठाकुर ने पीएमओ को भेजे प्रतिवेदन में वाड्रा से जुड़े मामलों की जाच का आग्रह किया था। कहा गया था कि जाच होनी चाहिए कि वाड्रा ने किस प्रकार से महज 50 लाख की कंपनी को कुछ ही समय में 500 करोड़ के स्वामित्व वाली कंपनी बना दिया। लखनऊ निवासी नूतन के अनुसार उन्हें अपने सवालों का पीएमओ से जवाब नहीं मिला है।