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FDI:नियम 184 के तहत बहस को राजी सरकार

       एफडीआई पर आखिरकार सरकार का रुख नरम पड़ा और गतिरोध टूटा. लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने ऐलान किया है कि एफडीआई मुद्दे पर नियम 184 के तहत चर्चा होगी. हालांकि अभी समय और तारीख का फैसला नहीं किया गया है.

            लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ और लोकसभा में सदन के नेता सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की,

                  

 जिसके बाद उन्होंने गुरूवार को खुदरा क्षेत्र में एफडीआई पर नियम 184 के तहत बहस के निर्देश दे दिए। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को इसके लिए धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि इस नियम के तहत बहस के साथ वोटिंग का प्रावधान है, जिस पर सरकार ने बुधवार को ही हरी झंडी दे दी थी।

                                 दूसरी तरफ राज्यसभा को हंगामे के चलते 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। इससे पहले बुधवार को एफडीआई के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार मत विभाजन के प्रावधान वाले नियम के तहत चर्चा कराने को तैयार हो गई थी, मगर किस नियम के तहत चर्चा कराई जाए, इसका फैसला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार पर छोड दिया था। मीरा कुमार के फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि संभवत: मंगलवार या बुधवार को संसद में एफडीआई पर चर्चा होगी और फिर नियम 184 के तहत मत विभाजन होगा।

संप्रग की सहयोगी द्रविड मुनेत्र कडगम हालांकि एफडीआई के विरोध में है, मगर उसने साफ कर दिया है कि मत विभाजन की स्थिति में वह सरकार का साथ देगी। समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन पार्टी भी हालांकि इसका विरोध कर रहे हैं, मगर मत विभाजन पर उनका स्पष्ट रूख अब तक सामने नहीं आया है। सूत्रों का कहना है कि दोनों दल मतविभाजन में भाग न लेकर परोक्ष रूप से सरकार का सहयोग कर सकते हैं। सरकार को संप्रग से अलग हुए घटक तृणमूल के उस फैसले से भी राहत मिली है, जिसमें उसने कहा है कि बहस किसी भी नियम के तहत हो, इसकी चर्चा पीठासीन अधिकारी करे। हालांकि सरकार तृणमूल का समर्थन मिलने को लेकर आश्वस्त नहीं है। बता दें कि जब से संसद का मौजूदा सत्र आरंभ हुआ है, तब से भाजपा और वामदल नियम 184 के तहत इस पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं, जिसके चलते सदन की कार्यवाही अब तक बाधित रही है। तृणमूल के एक सूत्र ने बताया कि मतविभाजन की स्थिति में तृणमूल भी इससे दूर रह सकती है।


 


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