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पाक पत्रकार पर जानलेवा हमला  


पाकिस्तान के जाने माने पत्रकार हामिद मीर पर कातिलाना हमला हुआ है लेकिन उनकी जान बच गई है. हामिद मीर जियो टेलिविजन में कैपिटल टॉक शो के मेजबान हैं और कुछ दिनों से तालिबान के निशाने पर थे.

पुलिस ने सोमवार को इस्लामाबाद में मीर की गाड़ी के नीचे से एक बम को निष्क्रिय किया. पिछले महीने लड़कियों की शिक्षा की पैरवी करने वाली मलाला युसुफजई पर तालिबान के हमले का मुद्दा मीर ने अपने शो पर उठाया था. पुलिस का कहना है कि बम उनकी गाड़ी की आगे वाली सीट के नीचे लगाया गया था. "एक डिटोनेटर सहित आधा किलो विस्फोटक पदार्थ गाड़ी के नीचे लगाया गया था." मीर अपने दफ्तर जा रहे थे और माना जा रहा है कि बम तब लगाया गया जब वह कुछ देर के लिए बाजार में रुके.

मीर ने जियो चैनल से बातचीत में कहा कि यह हमला उनके और पाकिस्तान में पत्रकार समुदाय के लिए एक संदेश है. "वे चाहते हैं कि हम सच बोलने से रुकें लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि हमें कोई रोक नहीं सकता." पाकिस्तानी गृह मंत्री रहमान मलिक ने बम के बारे में जानकारी देने वाले किसी भी इनसान को पांच लाख डॉलर का इनाम देने का वादा किया है. मीर के मुताबिक पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने पहले ही उन्हें अपनी जिंदगी को खतरे के बारे में जानकारी दी थी लेकिन वह किसी भी गुट को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहते.


पिछले महीने पाकिस्तान में खुफिया अधिकारियों ने कहा था कि उन्हें तालिबान की पत्रकारों पर निशाना साधने की योजना के बारे में पता चला है. कुछ हफ्तों पहले तालिबान ने पाकिस्तान की पश्चिमोत्तर स्वात घाटी में मलाला युसुजई नाम की लड़की पर हमला किया था क्योंकि वह लड़कियों के लिए शिक्षा के अधिकारों पर खुले आम बोल रही थी. मई 2011 में पाकिस्तानी पत्रकार सलीम शहजाद भी मारे गए थे. वे अल कायदा और पाकिस्तान सेना के बीच संपर्क पर लिख रहे थे. शहजाद ने अपनी मौत से पहले ह्यूमन राइट्स वॉच से कहा था कि खुफिया अधिकारियों ने उन्हें धमकी दी थी. पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने शहजाद की मौत में हाथ होने से इनकार किया है.

विश्व पत्रकार संगठन रिपोर्ट्स विदाउट बॉर्डर्स के मुताबिक जनवरी 2011 से लेकर अब तक पाकिस्तान में आठ पत्रकारों की हत्या हो चुकी है. 2011-2012 के लिए प्रेस आजादी इंडेक्स के मुताबिक अंदरूनी मुश्किलों की वजह से पाकिस्तान दुनिया में पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देश है.

 

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